बुधवार, 22 दिसंबर 2010

एक ऐसा भी इन्सान है

वोराराम पुत्र श्री गणेशराम
गांव पोस्ट केरला जिला पाली


एक ऐसा भी इन्सान है
हाथ हे पर कोई वस्तु नहीं पकड़ सकता उठाने की तो बात ही छोडीये। कान हे पर सुनता नही, मुह हे पर सिर्फ खानाखाने के लिये बोलता नहीं ऐसा इंसान जीवित होकर भी जिंदा लाश के बराबर जिसमे मात्र जीव हे पर सोचने समझने की शक्ति नही ऐसा इंसान पाली से 18 किलामीटर दूर केरला गाव मे 15 वर्षीय वोराराम पुत्र श्री गणेशाराम ने बेटे को कंधे पर बिठाकर इधर उधर इलाज भी कराया किन्तु गरीबी के कारण आगे उसके इलाज कि हिम्मत हार गई वह 15 वर्षो से उसको कंधे पर बिठाकर फिर रहा है किन्तु उस गरीबी की कोई नही सुनता हर वर्ष वह प्रशासन गावों के संध शिविरो मे जाकर सरकारी के आगे हाथ जोडता किन्तु उसकी कोई नही सुनता। वोराराम को अभी कोई सरकारी सहायता नही मिलती सरकार के सारे दावो एवे विकलांग कल्याणो कि पोल खोलने के लिये प्रयाप्त है।
 मां कंकूदेवी ने रोते हुए अपना दुखडा सुनाया क्या करू साब जीगर का टुकडा है सेवा तो करनी पडती बेटा बोलता नही इसलिए वह लेट्रीन पेशाब भी अन्दर कर देता है तो उसकी सफाई करनी पडती हे और समय पर खाना भी हाथ से खिलाना पडता है एक व्यक्ति हर वक्त उसकी देखभाल मे रहना पडता है न मालुम कब पैशाब कर दे एवं कब लेट्रीन करे समय पर खाना खिलाना पानी पिलाना सब हमारे हि जिम्हे रहता वह बोलता भी नही सिर्फ एक दुसरे को देखता ओर थोडा हंस लेता है।
 एक नही ऐसे कई वोराराम गांवो में हे जो आज अंधेरे मे जिदंगी जी रहे है माता पिता की गरीबी एवं सरकारी अफसरो तक उनकी पहुच न होन के कारण वे सारी सरकारी सुविधाओ एवं विकलांग कल्याण योजनाओ स महरूम है।
हमारी संस्था ने ऐसे लोगो के भरण पोषण एवं इलाज व सेवा का बीडा उठाया हे आप श्री से निवेदन हे कि ऐसे दुःखी इंसानो की सेवा के लिये हमारी संस्था को मुक्त हस्त से दान देवे एवं पुण्य अर्जित करे।

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